एक घर के बाहर तोते का पिंजरा टंगा था।
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वहां से रोजाना जब भी एक सेठ गुजरता तो तोता उन्हें देखकर बोलने लगता..बूढ़े, गंजे, कंजूस।
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ऐसा कई दिनों तक चलता रहा।
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आखिरकार सेठ को गुस्सा आ गया और उसने तोते के मालिक से उसकी शिकायत कर दी।
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अगले दिन तोते ने फिर वही हरकत की।
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इस पर सेठ ने मालिक से कह दिया कि अबकी बार अगर इसने मुझे चिढ़ाया तो इसका गला दबा दूंगा।
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अगले दिन सेठ फिर यहां से गुजरे.. तोते ने उनसे कुछ नहीं कहा।
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सेठजी ने थोड़े आगे जाकर पीछे पलटकर देखा, तोते ने फिर कुछ नहीं कहा।
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सेठ जी थोड़े और आगे गए और पीछे पलटकर देखा, तोते ने फिर कुछ नहीं कहा।
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सेठजी थोड़े और आगे गए और पीछे पलटकर देखा, तो तोते ने इस बार कहा..
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‘समझ तो गए ही होगे कि मैं क्या कहना चाह रहा हूं।’

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